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पौलेंड: जब पहरेदार के गले पर तीर लगा

पौलेंड: जब पहरेदार के गले पर तीर लगा

राजधानी वारसा के बाद क्राकाओ पोलैंड का दूसरा सबसे बड़ा शहर है परंतु अनेक पोलैंड वासियों के लिए यही देश का सबसे महत्वपूर्ण शहर है। वारसा के देश की राजधानी बनने से पहले यही पोलैंड की प्राचीन राजधानी हुआ करती थी।

विस्ला नदी के तट पर बसा क्राकाओ जहां स्थित है वहां सपाट यूरोपीय मैदान खत्म होते हैं और तात्रा पर्वतों की चढाई शुरू होने लगती है। शहर की सुंदरता तथा आकर्षण ऐसा है कि दक्षिण की ओर तात्रा माऊंटेन रिजॉर्ट्स तक जाने वाले यात्री इसकी सैर किए बिना आगे नहीं बढ पाते हैं।

राजधानी का दर्जा खोना क्राकाओ के लिए इसलिए अच्छा रहा क्योंकि राजधानी होने के कारण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वारसा पर बहुत बमबारी हुई जिससे उसका अधिकतर हिस्सा ध्वस्त हो गया था।

क्राकाओ में आज भी प्राचीनं अद्वितीय वस्तुकला के साथ महान भू-मध्यसागरीय एहसास बरकरार है। शहर की शानदार वासुक्ला का श्रेय उन वास्तुकारों को जाता है जिन्हें शहर में निर्माण के लिए यहां के राजाओं ने चुना था।

वावेल महल:

इतावली प्रभाव वावेल महल के प्रांगण में स्वतः महसूस होता है। किंग जायगमंट ने सोलहवीं शताब्दी की शुरुआत में  फ्लोरैंस के एक वास्तुकार को पुराने जर्जर हो चुके गॉथिक शैली के किले के जीर्णोद्धार का काम  सौंपा था जिसने इसे नवचेतन शैली के महल में बदल दिया।

शाही दरबार को 1609 में वारसा ले जाए जाने के बावजूद पोलैंड के राजाओं का राज्याभिषेक वावेल के महल में ही होता रहा था।

महल में प्रवेश का रास्ता एक आच्छादित आंगन से होकर जाता है। इसमें 71 शानदार कमरे हैं। आज भी महल में पोलैंड के शाही ताज में लगे माणिक्य सहेजे हुए हैं। इसके अलावा खजाने में 16वीं तथा 17वीं शताब्दी की 136 दुर्लभ फ्लेमिश टेपेस्ट्री(बेल्जियम के चित्रपट) का संग्रह भी है। करीब ही स्थित कब्रिस्तान में पोलैंड के राजाओं, रानियों, पादरियों से लेकर अनेक वीरों के मकबरे हैं।

विविध आकर्षण:

लाल ईंटों से बना सेंट फ्लोरियन गेट, शहर की कुछ दीवारें तथा मीनारें पुराने दौरे में क्राकाओ की रक्षा करने वाली मध्ययुगीन किलेबंदी के अवशेष हैं। टाऊन हॉल मूल इमारत की प्रतिकृति है जहां राष्ट्रीय संग्रहालय की एक शाखा भी है।

एक अन्य महत्वपूर्ण स्थान है जगिलोनियन विश्वविद्यालय जिसकी स्थापना 1364 में ‘किंग कैसिमीर द ग्रेट‘ ने की थी।  यह यूरोप के प्रमुख शिक्षण केन्द्रों में से एक था।  इसके संग्रहालय की  मूल्यवान चीजों में एक वर्ल्ड ग्लोब है जिस पर कोपरनिकस ने सर्वप्रथम अमेरिका के अस्तित्व को स्वीकार किया था। ग्लोब पर उसे ‘अमेरिका न्यू डिस्कवरी‘ (नई खोज अमेरिका) शब्दों से अंकित किया गया है। यूरोप के दूसरे सबसे पुराने यहूदी उपासना गृह को चौदहवीं शताब्दी में स्पेनिश यहूदियों ने बनाया था। यह पुराने यहूदी इलाके की जोराका स्ट्रीट पर स्थित है।

क्राकाओ में पुरानी तथा समृद्ध रंगमंच परम्परा रही है। इसके रंगमंच समूह और ओपेरा हॉउस प्रोडक्शन्स बेहद प्रतिष्ठित हैं जिनमें हमेशा से पूरे देश की रूचि रही है।

शानदार पुराना शहर:

क्राकाओ का पुराना शहर वावेल पहाड़ी के आधार से किसी बूंदी की तरह नीचे को फैलता प्रतीत होता है। तलहटी पर अभिजात्य वर्ग के लोगों तथा व्यापारियों के शानदार पुराने आवास बने हैं। ग्रोजका सड़क शहर मुख्य चौक तक जाती है जिसके दोनों ओर दुकानें तथा बालकनी युक्त घर हैं। मुख्य चौक को अधिकांश इमारतें 14वीं तथा 16वीं शताब्दी के बीच बनी थीं।

इसका केंद्र मार्किट स्क्वेयर है जहां स्थित पुराना लिनन हॉल मध्ययुगीन यूरोपीय वाणिज्यिक वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहारण है।  आज भी इस इमारत में बाजार लगता है।

हालांकि, सबसे बड़ा आकर्षण मरियाकी (मेरीज) चर्च है जो 14वीं सदी में बनी विश्व की सबसे बेहतरीन गॉथिक शैली इमारतों में से एक है। यह चर्च  तब बना था जब पोलैंड के मुख्य दुश्मन तात्रा घुड़सवार थे जो कई देशों पर हमला करते हुए पोलैंड की ओर बढ़ रहे थे।

चूंकि चर्च की मीनारें शहर सबसे ऊंची थीं यहां हमलावरों पर नजर रखने के लिए पहरेदार नियुक्त थे। एक किंवदंती के अनुसार पहरेदार ने तात्रा घुड़सवारों को देख नगरवासियों को सतर्क करने के लिए जब तुरही बजाई तो एक तात्रा धनुषधारी ने उसके गले पर तीर मार दिया था।

उसी पहरेदार के सम्मान में हर घंटे मीनार के शीर्ष से तुरही बजती है जिसे बीच में हल्का-सा रोक कर उस का संकेत दिया जाता है जब उक्त पहरेदार गले पर तीर लगने से शहीद हो गया था।

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