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ट्रांस-साइबेरियन ट्रेन में 'विंटर वंडरलैंड' का सफर

ट्रांस-साइबेरियन ट्रेन में ‘विंटर वंडरलैंड’ का सफर

यह बेहद लम्बी तथा कड़ाके की ठंड से भरी यात्रा है लेकिन साइबेरिया तथा मंगोलिया के करीब से देखने के लिए इससे बेहतर विकल्प उन लोगों के लिए और कुछ नहीं हो सकता जो सर्दियों की असली सुंदरता को और खालिस रूस की करीब से देखना चाहते हैं।

रूस की राजधानी मॉस्को से चलने वाली ट्रांस-साइबेरियाई ट्रेन असली रूस को करीब देखने का सबसे अच्छा माध्यम है। ट्रेन की इकोनॉमी क्लास की एक बोगी में चार दर्जन लोग यात्रा करते हैं जहां नजारा भारत की ट्रेनों के स्लीपर क्लास जैसा ही लगता है।

इसी ट्रेन के एक छोर पर पर्यटकों के लिए दो विशेष लग्जरी बोगियां भी लगती हैं जिनमें सफर करने वाले यात्री ट्रांस-साइबेरियाई रेलवे के ‘विंटर वंडरलैंड’ का अनुभव करने के लिए चार गुना अधिक किराया अदा करते हैं।

ट्रेन के इस हिस्से को ‘जरस गोल्ड सैक्शन’ करते हैं जहां चेहरे पर हमेशा मुस्कान धारण किए सहायक यात्रियों की सेवा में हमेशा हाजिर रहते हैं। वे उनके लिए बिस्तर लगाते हैं, ड्रिंक सर्व करते हैं तथा सफाई रखते हैं।

ट्रेन के इसी हिस्से में सफर करने वाली एक पर्यटक हैं रीटा हेलर। इस सेवानिवृत्त जर्मन स्कूल प्रिंसीपल के हमेशा से दो सपने थे स्काईडाइविंग और ट्रांस-साइबेरियाई रेलवे में यात्रा। पहला सपना वह पहले ही पूरा कर चुकी हैं और दूसरा इस यात्रा के साथ पूरा हो जाएगा।

Travelling Trans Siberian Railway

यात्रा के दौरान किवोव और येकातेरिनबर्ग के बीच साल के 6 महीने शंकुनुमा पत्तों वाले बर्फ के बोझ से झुके पेड़ तथा दूर-दूर तक फैले बर्फ के मैदान और कहीं-कहीं कुछ मकान नजर आते हैं। इन नजरों का आनंद ले रही रीटा की ख्वाहिश थी की यात्रा वह साल के सबसे ठंडे समय के दौरान करें। उनके अनुसार, “यहीं आप असली सर्दियों का अनुभव ले सकते हैं।”

मास्को से मंगोलिया की राजधानी उलान बतोर तक 6,305 किलोमीटर की यात्रा के दौरान ट्रांस-साइबेरियाई रेलवे पांच ‘टाइम जोन’ से गुजरती है।

इस ट्रेन के लग्जरी हिस्से में सफर करने वाले यात्री रास्ते में पड़ने वाले शहरों के होटलों में रुकते हुए भ्रमण कर सकते हैं। ट्रेन जब किसी स्टेशन पर रूकती है तो लग्जरी बोगियों को ट्रेन से अलग कर दिया जाता है और जब पर्यटक आस-पास के इलाके की सैर कर लेते हैं तो इन बोगियों को यात्रा के अगले चरण के लिए पीछे से आने वाली अगली ट्रेन में जोड़ दिया जाता है।

मास्को में कुछ वक्त मन बहलाने के बाद, जो विशेष रूप से क्रिसमस तथा नए साल पर और भी सुंदर हो जाता है, पर्यटक इस लम्बी यात्रा की शुरुआत यारोस्लावस्की स्टेशन से करते हैं।

मॉस्को, क्रास्त्रोयार्स्क, इर्कुत्स्क जैसे रेलवे स्टेशन रुसी वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं। ये इतने सुंदर ढंग से बनाए गए हैं कि इनकी भव्यता के सामने कई महल भी फीके पड़ जाते हैं।

ट्रांस-साइबेरियाई रेलवे से गर्मियों की तुलना में सर्दियों में कम पर्यटक यात्रा करते हैं परंतु जिन्हें ठंड पसंद है और सर्दियों में रूस की सुंदरता का अहसास लेना चाहते हैं, वे सर्दियों में ही आते हैं।

TRANS-SIBERIAN RAILWAY JOURNEY BEGINS! First Class Wagon Tour

साइबेरिया दुनिया के सबसे ठंडे इलाकों में से एक हैं। कुछ लोगों को लगता है कि लोग इसलिए लम्बे समय से वहां रह रहे हैं क्योंकि वहां रिफाइनरियों, खनन, रेलवे तथा लकड़ी से जुड़े उद्योगों में काफी रोजगार हैं परंतु साइबेरिया के मूल निवासियों को ठंड में रहने की आदत है और उन्हें यह माहौल अच्छा लगता है।

हालांकि, विदेशी पर्यटकों को इस पर हैरानी होती है और यात्रा के दौरान बेहद ठंडा मौसम चर्चा का मुख्य विषय अक्सर बना रहता है। रात को जब ट्रेन इर्कुत्स्क से गुजरती है तो तापमान शून्य से 31 डिग्री सैल्सियस तक कम हो सकता है।

बाइकाल झील विश्व के सबसे सुंदर जलाशयों में से एक है जो झील कम और सागर अधिक लगती है। सर्दियों के मौसम में तो यह और भी सुंदर हो जाती है। यात्री झील में नाव में कुछ वक्त सैर भी करते हैं।

लिस्तव्यांका के पास पहाड़ों की ऊंचाई तक जाने के लिए एक स्की लिफ्ट लगी है। यहां वास्तव में किसी ‘विंडर वंडरलैंड’ में पहुंचने का अहसास होता है। बर्फ से ढंके जादुई प्रतीत होने वाले जंगल तथा नीचे झील का शानदार नजारा हमेशा के लिए मन में कैद हो जाता है।

ट्रांस-साइबेरियाई रेलवे उलान-उदे में खत्म हो जाती है जिससे आगे का सफर ट्रांस-मंगोलियाई रेलवे द्वारा किया जाता है। अंतिम स्टेशन मंगोलिया की राजधानी उलान बातोर है जहां नजारा रूस से एकदम अलग है। शहर पर कोयले तथा हीटिंग स्टोव का छाया धुआं देखा जा सकता है। रूस में जहां गिरजाघरों की भरमार है वहीं चंगेज खान के इस शहर में लामा जानवरों के झुंड, बौद्ध शिक्षक तथा युवा छात्र बड़ी संख्या में नजर आते हैं।

पर्यटकों को इस यात्रा के अंतिम भ्रमण के लिए ‘मंगोलियाई स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है। यहां वे एक खानाबदोश परिवार के साथ भी वक्त गुजारते हैं जिनके पास ज्यादातर कश्मीरी बकरियां और भेड़ों सहित सैंकड़ों मवेशी और दो बड़े तम्बुनुमा घर होते हैं।

उन्हें दूध से बनी पारम्परिक मदिरा चखने का अवसर भी मिलता है जिसके साथ यह लम्बी और ठंडी यात्रा खालिस मंगोलियाई अंदाज में अमाप्त हो जाती है।

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